Panch Parwa 2025: धनतेरस, दिवाली, भाई दूज… आज से शुरू पांच पर्व, diwali Shubh Muhurt

पंच पर्व 2025: शुभ मुहूर्त, दिव्यता और पांचों पर्वों का गूढ़ रहस्य

कार्तिक मास का आगमन अपने साथ वह पवित्र ऊर्जा लेकर आता है, जो वर्षभर में सबसे शुभ और मंगलकारी मानी जाती है। आज से आरंभ हो रहा है पंच पर्व — वह श्रृंखला जिसमें पांच नहीं, बल्कि इस बार छह दिव्य दिन शामिल हैं। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी यानी धनतेरस से शुरू होकर यह श्रृंखला भाई दूज तक चलती है। इन दिनों को केवल उत्सव भर नहीं कहा जा सकता, बल्कि यह वे क्षण हैं जब ब्रह्मांड की पांच विशेष ऊर्जाएं सक्रिय होती हैं। यही कारण है कि पंच पर्व को पांच ग्रहों, पांच शक्तियों और पांच पवित्र भावनाओं का संगम माना गया है।

इस बार 2025 में पंच पर्व 18 अक्टूबर से शुरू होकर 23 अक्टूबर तक रहेगा। इन दिनों में न केवल धार्मिक, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी अत्यंत शुभ संयोग बन रहे हैं। ग्रहों की विशेष स्थिति मनुष्य के जीवन में स्वास्थ्य, धन, वैभव, समृद्धि और सौभाग्य की वृद्धि करने वाली मानी जाती है। आइए जानते हैं इन पावन पर्वों के शुभ मुहूर्त और उनसे जुड़े ऐसे दिव्य उपाय जो आपके जीवन को प्रकाशमय बना सकते हैं।

धनतेरस – 18 अक्टूबर 2025

धनतेरस, पंच पर्व का प्रथम और सबसे मंगलदायक दिन माना गया है। यह दिन गुरु और शुक्र ग्रह से जुड़ा है। बृहस्पति जहां आयु, आरोग्य और ज्ञान के प्रतीक हैं, वहीं शुक्र ग्रह धन, वैभव और सौंदर्य के कारक हैं। इस दिन कुबेर देव और भगवान धनवंतरी की पूजा का विधान है। कथा के अनुसार, समुद्र मंथन से भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसीलिए धनतेरस पर बर्तन खरीदना, विशेष रूप से धातु के बर्तन, शुभ माना जाता है।

शुभ मुहूर्त:
18 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 11 मिनट से रात 9 बजकर 22 मिनट तक धनतेरस की पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय रहेगा। इस काल में किए गए पूजन, दीपदान और खरीदारी से सौ गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है।

उपाय:
इस दिन यदि आप पीतल के बर्तन या चांदी-सोने के आभूषण खरीदते हैं, तो यह धनवृद्धि का संकेत माना जाता है। हल्दी, पीली वस्त्र और दीपदान से शुक्र ग्रह मजबूत होता है। लक्ष्मी पूजन के समय पीले पुष्प और घी का दीप जलाना शुभ रहेगा। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन पीले कपड़े पहनकर भगवान धनवंतरी की आरती करता है, उसे वर्षभर स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है।

नरक चतुर्दशी – 19 अक्टूबर 2025

धनतेरस के अगले दिन आता है नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली या यम दीपदान भी कहा जाता है। यह दिन यमराज की आराधना के लिए समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन की पूजा से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और जीवन में दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

शुभ मुहूर्त:
19 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 13 मिनट के बाद किसी भी समय पूजा की जा सकती है। इस दिन यमराज के नाम का दीप घर के बाहर दक्षिण दिशा में जलाना विशेष रूप से शुभ होता है।

उपाय:
सूर्योदय से पहले तेल और उबटन से स्नान करने की परंपरा है। इससे शरीर और मन दोनों की नकारात्मकता दूर होती है। घर के चारों कोनों में तिल के तेल के दीप जलाने से शनि और केतु के दोष शांत होते हैं। यह उपाय विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभदायक है जिनकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो।

 

दीपावली – 20 अक्टूबर 2025

पंच पर्व का हृदय है दीपावली, जो कार्तिक अमावस्या की पवित्र रात्रि में मनाई जाती है। यह वह रात है जब मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की संयुक्त पूजा से जीवन में दिव्य प्रकाश उतरता है। ज्योतिष के अनुसार, यह दिन शुक्र और चंद्रमा की ऊर्जा को जाग्रत करने वाला होता है।

शुभ मुहूर्त:
20 अक्टूबर को प्रदोष काल में पूजा का सर्वोत्तम समय शाम 7 बजकर 8 मिनट से रात 9 बजकर 3 मिनट तक रहेगा। इसी समय में लक्ष्मी-गणेश का पूजन करने से घर में सुख, शांति और धन का आगमन होता है।

उपाय:
इस दिन मां लक्ष्मी के समक्ष घी और तेल से दीप जलाएं। लक्ष्मी और गणेशजी की संयुक्त पूजा करें, और घर के मुख्य द्वार पर शंखनाद करें। मान्यता है कि शंख की ध्वनि से चंद्रमा और शुक्र ग्रह प्रबल होते हैं, जिससे घर में स्थायी समृद्धि आती है।
यदि आप घर में श्रीयंत्र स्थापित करें और उसे रोज दीप से पूजें, तो लक्ष्मी कृपा स्थायी रूप से बनी रहती है। दीपावली की रात पांच घी के दीप जलाकर उन्हें घर के पांच कोनों में रखना शुभ होता है।

गोवर्धन पूजा – 22 अक्टूबर 2025

दीपावली के दो दिन बाद आता है गोवर्धन पूजा, जो कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को मनाई जाती है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ा है। कथा के अनुसार, जब इंद्र देव वर्षा के रूप में ब्रजवासियों पर क्रोधित हुए, तब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर सात दिन तक धारण कर ब्रजवासियों की रक्षा की।

शुभ मुहूर्त:
22 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 26 मिनट से 8 बजकर 42 मिनट तक गोवर्धन पूजा का उत्तम समय रहेगा।

उपाय:
इस दिन मिट्टी से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा करें। गौ सेवा करें और अन्न, गुड़ या फल का दान करें। ऐसा करने से गुरु और शनि ग्रह सक्रिय होते हैं, जिससे भाग्य में वृद्धि होती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन गाय को हरा चारा खिलाता है, उसके जीवन में कभी धन का अभाव नहीं रहता।

भाई दूज – 23 अक्टूबर 2025

पंच पर्व का अंतिम दिन है भाई दूज, जो भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। यह पर्व चंद्र और बुध ग्रह से जुड़ा है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक करती हैं और उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं। भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है।

शुभ मुहूर्त:
23 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 13 मिनट से 3 बजकर 28 मिनट तक भाई को तिलक करने का सर्वश्रेष्ठ समय रहेगा।

उपाय:
इस दिन बहनें चंद्रमा को अर्घ्य दें और हरे वस्त्र या फल का दान करें। इससे बुध ग्रह प्रसन्न होते हैं और परिवार में सौहार्द बना रहता है। भाई यदि अपनी बहन को चांदी का उपहार दे, तो यह शुभ फल देने वाला होता है। बहनें अपने भाइयों के लिए काजल से तिलक करें और मिठाई खिलाएं — यह प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक है।

पंच पर्व की दिव्यता और ग्रहों की ऊर्जा

इन पांच दिनों में पृथ्वी पर एक अद्भुत ऊर्जा प्रवाहित होती है। धनतेरस से लेकर भाई दूज तक का यह काल जीवन के पांच स्तंभों का प्रतीक है — धन, स्वास्थ्य, सुख, संरक्षण और संबंध
ज्योतिष कहता है कि यह वही समय है जब ब्रह्मांड की पांच मुख्य शक्तियां – गुरु, शुक्र, शनि, चंद्र और बुध – पृथ्वी के सबसे नजदीक प्रभाव डालती हैं। यदि इन दिनों श्रद्धा और सच्चे मन से पूजा की जाए, तो न केवल आर्थिक समृद्धि बल्कि मानसिक शांति और पारिवारिक सौहार्द भी बढ़ता है।

समापन विचार

पंच पर्व केवल रोशनी, मिठास और उत्सव का प्रतीक नहीं, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि और जीवन के संतुलन का प्रतीक है। इन दिनों में जब घर-घर दीपक जलते हैं, तो वह केवल अंधकार नहीं मिटाते, बल्कि हमारे भीतर की नकारात्मकता को भी दूर करते हैं।
धनतेरस से भाई दूज तक का यह समय हर उस व्यक्ति के लिए वरदान है जो प्रेम, श्रद्धा और विश्वास के साथ इन त्योहारों को मनाता है। ग्रहों की कृपा और ईश्वरीय आशीर्वाद के साथ यह पंच पर्व 2025 आपके जीवन में नई रोशनी और अपार समृद्धि लेकर आए — यही शुभकामना है।

 

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